Friday, November 30, 2018

Ustad Nusrat Fateh Ali Khan


मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए
न झुकाओ तुम निगाहों को कहीं रात ढल न जाए

न उठा नक़ाब साक़ी अभी रात कुछ हैं बाकी
तेरा रिंद गिरतें गिरतें कहीं फिर संभल न जाए

मेरे अश्क़ भी हैं इसमें ये शराब उबल न जाए
मेरा जाम छूने वाले तेरा हाथ जल न जाए

मेरी ज़िंदगी के मालिक मेरे दिल पे हाथ रखना
तेरे आने की खुशी में मेरा दम निकल न जाए

मुझें फूकनें से पहले मेरा दिल निकाल लेना
ये किसी की हैं अमानत मेरे साथ जल न जाए


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