Wednesday, November 21, 2018

Hindi Love Shayari


किस क़दर हस्साज होकर इश्क़ फ़रमाता हूँ मैं
देखता हैं जब कोई उसको तो शरमाता हूँ मैं
सब मिटा डालें हैं मैंने दरम्यां के फासले 
चोट उसके पाऊँ में आएं तो लंगड़ाता हूँ मैं


1 comment: